Friday, May 21, 2010

बुंदेलखंड के हरिहर बुक्का


सन १३३६ में मुहम्मद बिन तुगलक ने दक्षिण में अपने साम्राज्य बिस्तार के लिए मालिक काफूर को भेजा। उसने कम्पिली पर आक्रमण कर वहां के दो राजकुमार हरीहर और बुक्का (हक्का बुक्का) को बंदी बना कर उन्हें अपने साथ दिल्ली ले आया। मुहम्मद बिन तुगलक ने इन दोनों राजकुमारों को मुसलमान बना कर इनके नाम इस्लाम कुली खान और अली कुली खान रख दिए। दोनों राजकुमार अपनी बहादुरी के बल पर मुहम्मद बिन तुगलक की सेना में सिपहसालार बन गए। बाद में मुहम्मद बिन तुगलक ने इन्हें दक्षिण विजय के लिए भेजा। ये राजकुमार अपना पूर्व धर्म नहीं भूले थे। उन्होंने संत विजयारन्य से प्रेरणा लेकर पुन: हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया। इस तरह मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ही भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर इन दोनों भाईयों ने विजय नगर साम्राज्य की स्थापना की।
इस घटना के तीन सौ वर्ष बाद बुंदेलखंड में भी इससे मिलती जुलती घटना घटित हुई। बुन्देला विद्रोह के दौरान सन १६३५ में जब औरछा के राजा जुझारसिंह बुन्देला मुगलों से अंतिम युद्ध कर रहे थे, इसके पहले उन्होंने अपने परिवार की महिलाओं और बच्चों को गोलकुंडा की ओर रवाना कर दिया था। मुगलों की ओर से युद्ध कर रहे खानजहान नुसरत जंग को इसकी खबर मिल गई। उसने अपने बड़े लड़के सैयद मुहम्मद को ५०० सवारों के साथ पीछा करने के लिए भेजा। उसने इस काफिले पर हमला किया पर विजय प्राप्त नहीं कर सका। तब दूसरे दिन खानजहान नुसरत जंग एक बड़ी सेना लेकर सहायता के लिए आ गया। युद्ध के अंत में खानजहान नुसरत जंग ने घायल महिलाओं के साथ जुझारसिंह का छोटा लड़का दुर्गभान सिंह तथा नाती दुर्जन सिंह को बंदी बना लिया।
२४ जनवरी १६३६ में खानजहान नुसरत जंग ने वीरसिंह देव महल दतिया में बंदी महिलाओं और दोनों राजकुमारों को शाहजहाँ के सामने पेश किया। शाहजहाँ के आदेश पर इन राजकुमारों को मुसलमान बना कर इनके नाम इस्लाम कुली खान और अली कुली खान रख दिए तथा इन्हें फ़िरोज़ जंग नाज़िर के संरक्षण में दे दिया। शाहजहाँ के चले जाने के बाद चम्पत राय तथा अन्य स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त बुन्देला सरदारों ने फिरोज जंग नाज़िर पर हमला कर उससे दोनों राजकुमारों को छीन लिए तथा उन्हें पुन: हिन्दू बना लिया। शाहजहाँ को जब इस घटना की खबर मिली तो उसने खानजहान नुसरत जंग को इन दोनों राजकुमारों को पकड़ कर क़त्ल कर देने के लिए भेजा। चम्पत राय मुगलों से इन दोनों राजकुमारों की रक्षा नहीं कर पाए। अंत में दोनों राजकुमार शहीद हो गए। खानजहान नुसरत जंग ने इन दोनों को मुसलिम रीति से दफ़न कर दिया।
आज भी दतिया में वीरसिंह देव महल के पीछे लाला के तालाब के बीच में इन दोनों राजकुमारों की कब्र बनी है जिसे लोग छक्का बक्का कहते हैं।